वेद भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का मूल आधार हैं, जिन्हें संस्कृत भाषा में लिखा गया है। संस्कृत अपने आप में एक वैज्ञानिक और अत्यंत प्राचीन भाषा है। यह चार पवित्र ग्रंथों का संग्रह है (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेद) जिन्हें ‘श्रुति’ कहा जाता है। ‘श्रुति’ का अर्थ है ‘जो सुना गया हो।’ यह भगवान द्वारा ऋषियों को दिए गए दिव्य ज्ञान को दर्शाता है। वेदों की रचना वैदिक काल (1500-600 ईसा पूर्व) में हुई थी। ये धार्मिक ग्रंथ होने के साथ-साथ जीवन के हर उस पहलू को दर्शाते हैं जो हमारे जीवन में महत्वपूर्ण है, जैसे विज्ञान, गणित, औषधि, संगीत, और सामाजिक संरचना।
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वेद के नाम | वेद केवल हिंदी में | वेद मंत्र: हिंदी व्याख्या के साथ |
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ऋग्वेद | ||
यजुर्वेद | ||
सामवेद | ||
अथर्ववेद |
चार वेद: उनकी विशेषताएँ और महत्त्व
1. ऋग्वेद (Rigveda)
ऋग्वेद को संपूर्ण विश्व की प्राचीनतम रचना माना जाता है। इसे दो प्रकार से बांटा गया है:
- 10 मंडल – इनमें कुल 1028 सूक्त और 10580 ऋचाएं हैं।
- 64 अध्याय – आठ-आठ अध्याय मिलाकर कुल 8 अष्टक बनाए गए हैं।
विशेषताएं:
- इसमें देवताओं की स्तुति परक ऋचाएं अधिक हैं।
- सृष्टि के अनेक रहस्यों का उद्घाटन होता है।
- ऋग्वेद की रचना सप्त-सैंधव प्रदेश में 1500-1000 ईसा पूर्व के बीच मानी जाती है।
- महत्त्वपूर्ण घटनाएं: दाशराज्ञ युद्ध का वर्णन, जिसमें राजा सुदास और पुरु जनों का उल्लेख है।
- देवताओं में इंद्र, अग्नि, वरुण, और सोम का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
2. यजुर्वेद (Yajurveda)
यजुर्वेद हिंदू धर्म के कर्मकांडों और यज्ञ विधियों का प्रमुख स्रोत है।
- इसे दो शाखाओं में विभाजित किया गया है:
- कृष्ण यजुर्वेद – दक्षिण भारत में प्रचलित।
- शुक्ल यजुर्वेद – उत्तर भारत में प्रचलित।
विशेषताएं:
- इसमें कुल 40 अध्याय, 1975 कंडिकाएं और 3988 मंत्र हैं।
- गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र यजुर्वेद में शामिल हैं।
- यज्ञों और हवन की विधियों का विस्तारपूर्वक वर्णन है, जैसे अग्निहोत्र, अश्वमेध, और राजसूय यज्ञ।
- सामाजिक और धार्मिक जीवन के नियमों का उल्लेख।
3. सामवेद (Samaveda)
सामवेद भारतीय संगीत और उपासना का मूल है।
- इसके कुल 1785 मंत्र हैं, जिनमें से अधिकांश ऋग्वेद से लिए गए हैं।
- इसे दो भागों में विभाजित किया गया है:
- पूर्वार्ध – इसमें चार कांड हैं (आग, एंद्र, पवमान, और आरण्य कांड)।
- उत्तरार्ध – इसमें कुल 1225 मंत्र हैं।
विशेषताएं:
- सामवेद के मंत्रों को गाया जाता है और यह यज्ञों के लिए उपयोगी हैं।
- इसकी तीन प्रचलित शाखाएं हैं: कौथुम, जमिनीय, और राणा।
- सामवेद का उद्देश्य मंत्रों को संगीतबद्ध करना है, जो यज्ञों और पूजा के दौरान गाए जाते हैं।
4. अथर्ववेद (Atharvaveda)
अथर्ववेद दैनिक जीवन से जुड़े तांत्रिक और धार्मिक सरोकारों को व्यक्त करता है।
- इसमें कुल 20 कांड, 730 सूक्त, और 5987 मंत्र हैं।
- इसे भैषज्य वेद (औषधि विज्ञान) और ब्रह्म वेद (आध्यात्मिक ज्ञान) भी कहा जाता है।
- इसमें रोग निवारण, जंत्र-तंत्र, टोने-टोटके और औषधियों का वर्णन है।
विशेषताएं:
- अथर्ववेद की भाषा सरल और स्पष्ट है।
- पृथ्वी सूक्त इसका प्रमुख सूक्त है।
- इसे “अथर्वा गरस वेद” के नाम से भी जाना जाता है।