श्री शनि चालीसा – Shri Shani Chalisa PDF Hindi

Shri Shani Chalisa PDF Hindi : शनि को न्याय का देवता माना जाता है, जो कर्मफल दाता हैं। शनि ग्रह का प्रभाव जीवन में अमीरी और सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। शनि की साढ़ेसाती और महादशा का प्रभाव व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह बदल सकता है। इस दौरान व्यक्ति को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन यदि वह स्थिरता बनाए रखता है, तो शनि उसे सफलता और धन से पुरस्कृत करता है।

शनि का एक चक्र 29 वर्षों में पूरा होता है, और यह धीमी गति से कार्य करता है, जिससे व्यक्ति के कामों में देरी होती है। हालांकि, इस देरी के पीछे शनि का उद्देश्य व्यक्ति को परिपक्व और सक्षम बनाना होता है। आज के इस लेख shani chalisa pdf hindi में आप सभी को शनि चालीसा का पीडीऍफ़ प्रदान करूँगा।

Shri Shani Chalisa PDF Download in Hindi

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NameShri Shani dev Chalisa PDF Hindi
CategoryShani PDF
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LanguageHindi
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Shri Shani Chalisa Lyrics in Hindi PDF

दोहा

जय गणेश गिरिजा सुवन मंगल करण कृपाल ।
दीनन के दुख दूर करि कीजै नाथ निहाल ॥

जय जय श्री शनिदेव प्रभु सुनहु विनय महाराज ।
करहु कृपा हे रवि तनय राखहु जनकी लाज ॥

जयति जयति शनिदेव दयाला । करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥
चारि भुजा तनु श्याम विराजै । माथे रतन मुकुट छबि छाजै ॥

परम विशाल मनोहर भाला । टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके । हिये माल मुक्तन मणि दमकै ॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा । पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥
पिंगल कृष्णो छाया नन्दन । यम कोणस्थ रौद्र दुख भंजन ॥

सौरी मन्द शनी दश नामा । भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥
जापर प्रभु प्रसन्न हवैं जाहीं । रंकहुँ राव करैं क्शण माहीं ॥

पर्वतहू तृण होइ निहारत । तृणहू को पर्वत करि डारत ॥
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो । कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥

बनहूँ में मृग कपट दिखाई । मातु जानकी गई चुराई ॥
लषणहिं शक्ति विकल करिडारा । मचिगा दल में हाहाकारा ॥

रावण की गति-मति बौराई । रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥
दियो कीट करि कंचन लंका । बजि बजरंग बीर की डंका ॥

नृप विक्रम पर तुहिं पगु धारा । चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥
हार नौंलखा लाग्यो चोरी । हाथ पैर डरवायो तोरी ॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो । तेलहिं घर कोल्हू चलवायो ॥
विनय राग दीपक महँ कीन्हयों । तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥

हरिश्चंद्र नृप नारि बिकानी । आपहुं भरें डोम घर पानी ॥
तैसे नल पर दशा सिरानी । भूंजी-मीन कूद गई पानी ॥

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई । पारवती को सती कराई ॥
तनिक वोलोकत ही करि रीसा । नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी । बची द्रौपदी होति उघारी ॥
कौरव के भी गति मति मारयो । युद्ध महाभारत करि डारयो ॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला । लेकर कूदि परयो पाताला ॥
शेष देव-लखि विनति लाई । रवि को मुख ते दियो छुड़ाई ॥

वाहन प्रभु के सात सुजाना । जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना ॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी । सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥

गज वाहन लक्श्मी गृह आवैं । हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं ॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा । सिंह सिद्धकर राज समाजा ॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै । मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी । चोरी आदि होय डर भारी ॥

तैसहि चारी चरण यह नामा । स्वर्ण लौह चाँदि अरु तामा ॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं । धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं ॥

समता ताम्र रजत शुभकारी । स्वर्ण सर्व सुख मंगल भारी ॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै । कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै ॥

अद्भूत नाथ दिखावैं लीला । करैं शत्रु के नशिब बलि ढीला ॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई । विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत । दीप दान दै बहु सुख पावत ॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा । शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥

दोहा


पाठ शनीश्चर देव को कीन्हों oक़् विमल cक़् तय्यार ।
करत पाठ चालीस दिन हो भवसागर पार ॥


जो स्तुति दशरथ जी कियो सम्मुख शनि निहार ।
सरस सुभाष में वही ललिता लिखें सुधार ।

शनि की साढ़ेसाती और अंकों का महत्व

शनि की साढ़ेसाती और महादशा का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाता है। यह समय व्यक्ति को नई दिशाओं में सोचने और अपने जीवन को पुनः मूल्यांकन करने का अवसर प्रदान करता है। शनि के प्रभाव में व्यक्ति को नए विचार और परिवर्तन का अनुभव होता है, जो उसके जीवन को सुधारने में सहायक होता है। कई लोग मानते हैं कि उन्होंने अपने जीवन का सबसे अच्छा पैसा शनि की साढ़ेसाती के दौरान ही कमाया है।

अंक ज्योतिष में शनि को आठ नंबर से संबोधित किया जाता है, जो कर्म और मनी का प्रतीक है। यह अंक सफलता और कठिन परिश्रम का भी प्रतीक है। चीन में आठ नंबर को अत्यंत शुभ माना जाता है और इसे धन से जोड़कर देखा जाता है। चीन में 8 अगस्त 2008 को ओलंपिक का उद्घाटन भी इसी मान्यता के कारण हुआ था। चीनी संस्कृति में नंबर आठ को लेकर विशेष महत्व है, और यह व्यवसाय और धन प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है।

श्री शनि चालीसा पाठ के नियम

  • पाठ का दिन: शनि चालीसा का पाठ मुख्य रूप से शनिवार के दिन करना चाहिए।
  • सुबह और शाम: आप सुबह और शाम दोनों समय शनि चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
  • स्वच्छता: पाठ करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • मन की शांति: मन और मस्तिष्क को शांत रखकर पाठ करें।
  • मंदिर जाना: मंगलवार और शनिवार को शनि मंदिर जाकर पूजा करें।
  • दीप जलाना: शनि मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
  • पीपल के पेड़ की पूजा: भगवान शनिदेव की मूर्ति के सामने पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं।
  • निरंतरता: निरंतर रूप से शनि चालीसा का पाठ करें, विशेषकर 40 शनिवार तक।

शनि चालीसा के फायदे

  • शनि दोष से मुक्ति: शनि चालीसा का नियमित पाठ करने से शनि ग्रह की अशुभ दृष्टि का प्रभाव कम होता है और शनि दोष से मुक्ति मिलती है।
  • कष्टों का निवारण: जीवन में आने वाली परेशानियों और कष्टों का निवारण होता है। शनि के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याएं दूर होती हैं।
  • धन-संपत्ति में वृद्धि: शनि चालीसा के पाठ करने से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
  • स्वास्थ्य लाभ: शनि ग्रह के कारण होने वाली बीमारियों और स्वास्थ्य समस्याओं में राहत मिलती है।
  • मन की शांति: मानसिक तनाव और चिंता कम होती है और मन को शांति मिलती है।
  • कार्यक्षेत्र में सफलता: कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है और प्रमोशन के अवसर बढ़ते हैं।
  • सद्भाव और सौहार्द: परिवार और समाज में सद्भाव और सौहार्द बना रहता है।
  • न्याय और सत्य के प्रति आस्था: शनि चालीसा के पाठ से न्याय और सत्य के प्रति आस्था बढ़ती है।

Frequently Asked Question

Q1: शनि चालीसा पढ़ने से क्या होता है?

शनि चालीसा हिंदू धर्म में भगवान शनि को समर्पित एक प्रमुख मंत्र है। शनिदेव की कृपा पाने के लिए इस चालीसा का नियमित जाप किया जाता है। शनि चालीसा का पाठ करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और उनके अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही व्यक्ति को धार्मिक और मानसिक शांति प्राप्त होती है। नियमित पाठ से शनिदेव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्रदान करता है।

Q2: शनि चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

शनि चालीसा पढ़ने का सबसे उत्तम समय शनिवार का दिन माना जाता है। शनिवार को शनि देव की विशेष पूजा का दिन माना गया है, इसलिए इस दिन शनि चालीसा का पाठ करने से अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। हालांकि, आप किसी भी दिन और समय पर इसे पढ़ सकते हैं, बस ध्यान रहे कि पाठ श्रद्धा और भक्ति के साथ होना चाहिए। यदि संभव हो, तो हर शनिवार शनि चालीसा का पाठ करें ताकि शनिदेव की कृपा हमेशा बनी रहे।

Q3: शनिदेव हमारे लिए कितना महत्व रखते हैं?

शनिदेव हिंदू धर्म में कर्मफल के देवता के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति को धार्मिकता, न्याय, संयम, और तात्पर्य की प्राप्ति होती है। शनिदेव की शक्ति और क्रोध दोनों ही जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि हम शनिदेव की उपासना सही तरीके से करें, तो जीवन में समृद्धि, शांति और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। शनिदेव का समर्थन और आशीर्वाद हमें सदैव चाहिए, क्योंकि वे हमारे जीवन के कर्मों का फल देते हैं और हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

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