हनुमान अष्टक – Hanuman Ashtak PDF in Hindi

Sankat mochan hanuman ashtak pdf: हनुमान भक्तों को मेरा राम राम, आज आपके लिए हनुमान अष्टक से जुड़ी हुई बहुत ही महत्वपूर्ण बातें। आज के इस लेख hanuman ashtak PDF in hindi में आप सभी को बताऊंगा कि हनुमान अष्टक की महिमा क्या होती है। अगर आप इसका पाठ करते हैं तो आपके अंदर क्या-क्या परिवर्तन होते हैं। भक्तों, कोई भी भाग, पूजा, मंत्र, अगर आप जपते हैं, तो उसको आप रोजाना अपनी पूजा में शामिल करते हैं और उसका लाभ आपको सम्पूर्ण रूप से होता है।

आपको बता दूँ कि कलयुग में कुछ जागृत देवता हैं, जो आज भी धरती पर लोगों के संकटों को दूर करने के लिए उपस्थित हैं। ऐसा बहुत से लोगों का मानना है। और उन्हीं में से एक हैं हमारे प्रिय पवन पुत्र, राम दूत हनुमान जी, जो कलयुग के समय भी लोगों की और धर्म की रक्षा के लिए इस धरती पर विराजित हैं। उन्हें राम जी से यह वरदान मिला था कि जब तक धरती पर मेरी कथा का रसपान होता रहेगा, तब तक आप धरती पर जीवित अवस्था में रहेंगे। इसीलिए हनुमान जी को चिरंजीवी भी कहा जाता है।

Sankat Mochan Hanuman Ashtak PDF in Hindi Download

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Hariharan Sankatmochan Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi

॥ हनुमान अष्टक ॥

बाल समय रबि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारो ।

ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ॥

देवन आन करि बिनती तब, छांड़ि दियो रबि कष्ट निवारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥

बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो ।

चौंकि महा मुनि शाप दिया तब, चाहिय कौन बिचार बिचारो ॥

के द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥

अंगद के संग लेन गये सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो ।

जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाय इहाँ पगु धारो ॥

हेरि थके तट सिंधु सबै तब, लाय सिया-सुधि प्राण उबारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥

रावन त्रास दई सिय को सब, राक्षसि सों कहि शोक निवारो ।

ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाय महा रजनीचर मारो ॥

चाहत सीय अशोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका शोक निवारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥

बाण लग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सुत रावण मारो ।

लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ॥

आनि सजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्राण उबारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥

रावण युद्ध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो ।

श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयोयह संकट भारो ॥

आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥

बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पाताल सिधारो ।

देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि, देउ सबै मिति मंत्र बिचारो ॥

जाय सहाय भयो तब ही, अहिरावण सैन्य समेत सँहारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥

काज किये बड़ देवन के तुम, वीर महाप्रभु देखि बिचारो ।

कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसों नहिं जात है टारो ॥

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥

॥ दोहा ॥

लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर ।

वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥

Sankatmochan Hanuman Ashtak Path

Shree Hanuman Ashtak by Rasraj Ji Maharaj

Sankat Mochan Hanuman Ashtak in Hindi

भक्तों, जब बचपन में हनुमान जी द्वारा सूर्य को निगल लिया गया था और फिर इंद्र देव के प्रहार द्वारा हनुमान जी को उनके हनु में यानी ठोड़ी में चोट लग गई थी, तो सभी देवी-देवताओं ने हनुमान जी से माफी मांगी थी और उन्हें बहुत से शक्तियों का वरदान दिया गया था। क्योंकि हनुमान जी बचपन में बहुत शरारती थे और ऋषि-मुनियों की तपस्या में विघ्न बाधा डालते थे। तो एक ऋषि के द्वारा उन्हें श्राप दिया गया था, “तुम अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हो, इसलिए तुम अपनी सारी शक्तियों को जाओगे।”

उसके बाद जब हनुमान जी को अपनी गलती का एहसास हुआ और हनुमान जी के द्वारा क्षमा याचना की तो ऋषि जी ने कहा, “ठीक है, जब भी कोई तुम्हें अपनी शक्तियों का स्मरण कराएगा, तो तुम्हें अपनी शक्तियों का स्मरण हो जाएगा और तुम उनका प्रयोग फिर से कर पाओगे।”

आप सभी को पता होगा कि जब लंका पार करने के लिए सारा वानर दक्षिण की तरफ गया था, जिसकी अगुवाई अंगद जी और जामवंत जी कर रहे थे, जिसमें जामवंत जी ने हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण कराया था। इन्ही सभी घटनाओं से प्रेरित होकर श्री गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने भक्तों का दुःख निवारण करने के लिए हनुमान अष्टक को लिखा था।

Hanuman Ashtak Padhne Ke Fayde

जो भी हनुमान जी के शक्तियों के बारे में हनुमान अष्टक की पंक्तियों में बताया गया है, तो जब आप उन पंक्तियों का स्मरण करेंगे, तो आप बार-बार हनुमान जी को उनकी शक्तियों के बारे में याद दिलाएंगे, फिर आपका कोई भी ऐसा काम नहीं रहेगा जो की हनुमान जी पूरा नहीं कर सकते। दोस्तों, हनुमान अष्टक का पाठ करने से व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास और मनोबल की वृद्धि होती है।

मैंने आप सभी को पांच फायदे बताये है

  1. अगर आपको लगता है कि मेरे आत्मविश्वास में बहुत कमी है, क्योंकि आत्मविश्वास अगर कम है तो आप किसी कार्य को पूरे एकाग्रता के साथ नहीं कर सकते, और अगर आपके अंदर आत्मविश्वास है, तो आप कितने भी कठिन से कठिन काम को कर सकते हैं। तो अगर आपको ऐसा लगता है कि मुझमें आत्मविश्वास की कमी है, तो आप हनुमान अष्टक का पाठ शुरू कर दीजिए।
  2. भक्तों, अगर आपके घर में कोई बहुत समय से बीमार है, तो आप हनुमान अष्टक का पाठ उससे शुरू करवा दीजिए। अगर वह पाठ नहीं कर सकता है, तो आप उसके नाम से पाठ करना शुरू कर दीजिए, और कुछ ही समय बाद इसका कल्याणकारी चमत्कार देखने को मिलेगा और वह बीमार व्यक्ति ठीक होने लगेगा।
  3. हनुमान अष्टक का पाठ करने से मनुष्य को संकटों से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। अगर आपको लगता है कि आपके घर पर किसी तंत्र-मंत्र का प्रभाव है, या आपके घर की प्रगति रुकी हुई है, तो आपको रोजाना सुबह और शाम हनुमान अष्टक का पाठ करना चाहिए।
  4. भक्तों, अगर आप हनुमान अष्टक के साथ साथ हनुमान चालीसा का भी पाठ करते हैं, तो आप यह मान लीजिए कि आपको दोगुना लाभ मिलेगा।
  5. आपको अगर लगता है कि आपका काम नहीं बन रहा है, आपके घर में बहुत ज्यादा दिक्कत चल रही है, और आपको लगता है कि आपके घर में शत्रु बहुत हैं, तो आप हनुमान अष्टक का पाठ शुरू कर दीजिए। हनुमान अष्टक का पाठ करने से रचनात्मक शक्ति का विकास होता है, और अगर आपको लगता है कि आपकी कुंडली में ग्रहों की विपरीत परिस्थिति है, तो आपको तुरंत हनुमान अष्टक का पाठ शुरू कर देना चाहिए, तो आपके जो ग्रह हैं वह आपको दुष्परिणाम नहीं पहुंचाएंगे, और हनुमान जी की कृपा आप पर बनी रहेगी।

Hanuman Ashtak Puja Vidhi

1: तैयारी

  1. साफ-सफाई: पूजा स्थल को साफ और शुद्ध करें। आप चाहें तो गंगाजल का छिड़काव भी कर सकते हैं।
  2. पूजा सामग्री: हनुमान जी की मूर्ति या चित्र, दीपक, अगरबत्ती, पुष्प, चंदन, धूप, कपूर, नैवेद्य (भोग), जल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर)।
  3. आसन: स्वयं के लिए एक साफ आसन बिछाएं और पूजन सामग्री को व्यवस्थित रूप से रखें।

2: संकल्प

  1. संकल्प: पूजा शुरू करने से पहले संकल्प लें। संकल्प का मतलब है कि आप किस उद्देश्य से पूजा कर रहे हैं, इसे मन ही मन स्पष्ट करें।
  2. जल: एक लोटे में जल लेकर उसमें चावल, फूल और दूर्वा डालें और संकल्प बोलें।

3: ध्यान और आवाहन

  1. ध्यान: आंखें बंद करके हनुमान जी का ध्यान करें।
  2. आवाहन: हनुमान जी का आवाहन करें और उन्हें अपने पूजा स्थल पर विराजमान होने का निवेदन करें।

4: दीप प्रज्वलन और आरती

  1. दीप प्रज्वलन: दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
  2. धूप: धूप दिखाएं और कपूर जलाकर आरती करें।

5: हनुमान अष्टक का पाठ

  1. पाठ: हनुमान अष्टक का पाठ शांत मन से करें। अगर संभव हो तो पाठ को जोर से और स्पष्ट उच्चारण के साथ करें।
  2. मनन: पाठ के बाद कुछ समय के लिए हनुमान जी की लीला और उनके गुणों का मनन करें।

6: नैवेद्य और प्रसाद

  1. नैवेद्य: हनुमान जी को नैवेद्य अर्पित करें।
  2. जल: जल अर्पित करें।
  3. प्रसाद: नैवेद्य को प्रसाद के रूप में सभी सदस्यों में बांटें।

7: समापन

  1. प्रार्थना: हनुमान जी से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करें।
  2. क्षमा याचना: पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना करें।

8: आरती और विसर्जन

  1. आरती: एक बार फिर हनुमान जी की आरती करें।
  2. विसर्जन: हनुमान जी से निवेदन करें कि वे अपने स्थान पर वापस लौट जाएं, और धन्यवाद अर्पित करें।

ध्यान देने योग्य बातें

  • पूजा का समय सुबह और शाम में से किसी एक को निर्धारित करें।
  • पाठ के दौरान मन को एकाग्र रखें और श्रद्धा से हनुमान जी का स्मरण करें।
  • नियमित रूप से हनुमान अष्टक का पाठ करने से आपको इसका संपूर्ण लाभ मिलेगा।

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